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राम और रामायण से जुड़े 5 मिथक:श्रीराम की बहन शांता से लेकर सीता स्वयंवर में रावण के होने तक, पढ़िए कहां से आई हैं ये कहानिया
अयोध्या में आज से राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा शुरू हो रही है। रामायण और राम को लेकर कई मिथक हैं, जिन्हें लोग सच भी मान लेते हैं। जैसे राम की बड़ी बहन थीं, सीता रावण की बेटी थी और भी ऐसी कई बातें हैं। हालांकि, इनकी सच्चाई कुछ और ही है। ये बातें अलग-अलग राम कथा का हिस्सा हैं। हम रामायण से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथक और वे किस रामकथा का हिस्सा हैं, ये बता रहे हैं।
जानिए, रामायण से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई...
मिथक 1ः क्या राम की एक बड़ी बहन थी?
कई कथाओं में आता है कि भगवान राम की एक बहन थी शांता। जिनका विवाह शृंगी ऋषि के साथ हुआ था, ये वो ही शृंगी ऋषि हैं जिन्होंने दशरथ का पुत्र कामेष्ठी यज्ञ कराया था। जिसके प्रसाद से राम सहित चारों भाइयों का जन्म हुआ।
ये छत्तीसगढ़ की लोक कथाओं में जरूर आता है। छत्तीसगढ़ी रामायण में भी इसका जिक्र मिलता है। अध्यात्म और आनंद रामायण में भी शांता का नाम आता है। इसके अलावा इंडोनेशिया रामकियेन में भी शांता का जिक्र मिलता है। हालांकि, वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास की रामचरित मानस में कहीं भी शांता के बारे में कुछ लिखा नहीं गया है। इस कारण भगवान राम की बहन को ज्यादातर विद्वानों ने एक काल्पनिक पात्र माना है।
मिथक 2ः क्या सीता रावण की बेटी थी?
बहुत सी कहानियों में ये भी है कि सीता रावण की ही बेटी थीं, जिसका उसने त्याग कर दिया था। कुछ कहानियां ऐसी भी हैं कि रावण ने कई ऋषियों को मारकर उनके खून से घड़ा भर लिया। तब एक ऋषि ने उसे शाप दे दिया कि इस रक्त से एक कन्या का जन्म होगा जो तेरी मौत का कारण बनेगी।
तब रावण ने उस घड़े को लंका से काफी दूर मिथिला के पास खेत में गड़वा दिया। जहां से जनक को सीता मिली थीं। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही ऐसी किसी घटना का जिक्र नहीं है। दोनों ने ही सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना है। इन्हीं सीता देवी को वेदों ने कृषि की देवी कहा है। ये दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्वी राज्यों की कुछ लोक कथाओं में जरूर मिलता है।
मिथक 3ः क्या हनुमान विवाहित थे?
दो तरह की विचारधाराएं हैं। उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय। उत्तर भारतीय ग्रंथों में, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस जैसे ग्रंथों ने भगवान हनुमान को ब्रह्मचारी माना है। हां, कुछ कथाओं में उनके पुत्र मकरध्वज का जिक्र आता है जो रावण के भाई अहिरावण की सेना में है और पाताल में रहता है। हनुमान के इस पुत्र के जन्म की कथा लंका दहन वाले प्रसंग से जुड़ी है। जब हनुमान लंका दहन कर लौट रहे थे तब उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में गिरी, जो एक मछली ने पी ली। इसी से वो गर्भवती हो गई और एक पुत्र जन्मा जिसका नाम था मकरध्वज।
तेलंगाना के खम्मम जिले का श्री सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर है। यहां भगवान हनुमान की पूजा सुवर्चला के साथ की जाती है। यहां अगस्त्य संहिता के मुताबिक इस मान्यता को सही माना जाता है कि सुवर्चला भगवान हनुमान की पत्नी हैं।
वहीं, दक्षिण भारत में कई मंदिरों में भगवान हनुमान की पूजा पत्नी के साथ की जाती है। यहां सूर्य की पुत्री सुवर्चला उनकी पत्नी मानी जाती है। अगस्त्य संहिता नाम के ग्रंथ में इसका उल्लेख है। इसके मुताबिक भगवान हनुमान ने सूर्य को अपना गुरु बनाया था। कुछ विद्याएं हासिल करने के लिए हनुमान का विवाहित होना जरूरी था, लेकिन हनुमान अपना ब्रह्मचर्य तोड़ना नहीं चाहते थे। ऐसे में भगवान सूर्य ने हनुमान से कहा कि उनकी पुत्री सुवर्चला भी विवाह नहीं करना चाहती है, वो तपस्विनी है। वो गृहस्थ जीवन नहीं चाहती। दोनों कुछ समय के लिए शादी कर लें और अलग-अलग रहें तो दोनों का ब्रह्मचर्य भी नहीं टूटेगा। तब दोनों का विवाह कराया गया और विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तपस्या के लिए चली गईं। हनुमान ने अपनी शिक्षा पूरी की।
हालांकि ये कहानी दक्षिण भारत की है। उत्तर भारत में भगवान हनुमान को ब्रह्मचारी रूप में ही पूजा जाता है।
मिथक 4ः क्या गिलहरी की पीठ पर राम की तीन अंगुलियों के निशान हैं?
माना जाता है कि सीताहरण के बाद राम जब जंगल में सीता की खोज कर रहे थे, तब उन्होंने एक बगुले से सीता के बारे में पूछा तो उसने पानी में मुंह छिपा लिया। राम ने उसे शाप दे दिया। वहीं, एक गिलहरी ने सीता के बारे में बताया तो राम ने उसकी पीठ पर तीन उंगलियां फेरकर उसे वरदान दिया। गिलहरी की पीठ पर तीन लकीरों के निशान भगवान राम की उंगलियों के ही हैं।
एक कहानी ये भी है कि समुद्र पर सेतु बनाने में गिलहरी ने भी मदद की थी, जिसके बाद राम ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा था। वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में ऐसी कहानी नहीं मिलती है। प्रो. कामिल बुल्के की किताब रामकथा का इतिहास के मुताबिक ये कहानी आदिवासी बिर्होर और मुंडा जातियों की लोक कथाओं में आती है। जो झारखंड और छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं।
मिथक 5ः क्या सीता स्वयंवर में रावण भी आया था?
कई कहानियों में जिक्र आता है कि सीता स्वयंवर में रावण भी आया था और शिव का धनुष नहीं उठा पाया था। धनुष नहीं उठा पाया तो स्वयंवर में मौजूद बाकी राजाओं ने उसकी हंसी उड़ाई और गुस्सा होकर वो लौट गया।
रामचरितमानस की एक चौपाई में इसका जिक्र है। बहुत ज्यादा उल्लेख नहीं है। 9वीं शताब्दी में लिखी गई आनंद रामायण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि रावण ने सीता से विवाह के लिए मिथिला में अपना एक दूत जनक के पास भेजा था। तमिल रामकथा में जिक्र आता है कि स्वयंवर में रावण शिव का धनुष नहीं उठा पाया था।
(ग्राफिक्स: कुणाल शर्मा, स्केच: संदीप पाल)
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